Pic-चार
આ સાથે મારા વિચારો ને Picture સાથે સાંકળી ને રજૂ કરું છું.
” Picture + વિચાર = Pic-ચાર “
આશા છે કે આ “Picture” નહી , પરંતુ “Pic-ચાર” આપને પસંદ પડશે…!
सुबह सुबह दिल के दरवाजे दस्तक देता कौन आया ?
सोचा आफ़ताब (सूर्य) होगा , आफ़ताब ही होगा !
पर वोह तो मेरा अल्फाझ(शब्द) निकला !!
– जगत अवशिया
खयालो का सैलाब यूं चला जैसे,
मेरे जीवन की कश्ती…….
इस पार से उस पार चली हो जैसे…!
– जगत अवशिया
आसमाँ को छू गया, अब मेरा मकान,हाँ पर…
माँ की आस पीछे छूट गयी शायद…!
– जगत अवशिया
छोटा हूँ , छोटा ही रहने दो
ये बड़े लोगोवाला बड़प्पन ,
शायद मेरी समज के दायरे से,
बहुत बड़ा है !!
– जगत अवशिया
लोगो ने कहा तुम अच्छा चिठ्ठा (blog) लिख लेते हो,
शायद ये उनका प्यार है …!
में कहता हूँ —
“ये मेरे दिल का कार्डियोग्राम है…” !!
– जगत अवशिया
Aug 16, 2010 @ 17:25:24
પિક્ચારનો મૌલિક પ્રયોગ ગમ્યો.
Aug 30, 2010 @ 02:06:12
great idea…you seem to be reveling in this format…keep going!
Sep 01, 2010 @ 03:54:35
Pic-char is really good idea.
Sep 01, 2010 @ 17:23:26
Wah, bahot khub
Sep 20, 2010 @ 16:05:10
Dear Jagat,
I M PRESSED with VicharJagat