ये दिन हरदिन पूछे है मुझसे,
कौन हूँ में ? क्या है क्षमता मेरी ?
करती क्या हूँ ?
क्या पहचान है मेरी ?
पलक न जबके, न झुके मेरा सर
रोज़ जवाब देती हूँ मैं
उगते हुए दिन से
रोज़ आँख मिलाती हूँ
किसकी मिटटी है मेरे कणकण में
उस माँ की आभारी हूँ में
सिर्फ रोटी बनाती नहीं
खुद की रोटी कमाती हूँ में
एक नहीं – दस लाख हूँ में
सारे रंग है रगो में मेरे
मानते है तो सिर्फ लाल को
खून बहा है ये लाल मेरा
रोज परखते थे उसकी सच्चाई को
रंगमंच की कठपुतली थी में
आज इन रंगो की रानी हूं में
एक नहीं – दस लाख हूँ में
अन्धविश्वास की सीमा लाँघ
विज्ञान के साथ चल रही हूँ में
इस धागे से बुनूँगी सृष्टि को
सूई की तेज़ नोक हूँ में
अपने कलसे जो सीखा है मेने
अपने कलको सौपुंगी में
कमज़ोर और निर्भर ना होना
निडर और निर्भय तू है
बड़ो का सम्मान हो जिस घर में
ऐसी संस्कृति की नीव हूँ में
रेशम से भी मुलायम हूँ जो
वो स्नेहभरा आशीर्वाद हूँ में
मासूम है अब तक रूह उसकी
जो मासी को अपनी माँ समजे
मासूम है अब तक रूह उसकी भी
जो नन्हे को ये समज़ने दे
मासूम है वो काले बादल
जो पृथ्वी को देख गरजते है
बूंदे बरसने पर जो नाचे
वो मासूम मदहोश मोर हूँ में
भीगी बिल्ली समज़नेवाले
कई सारे है इस महफ़िल में
पंजा मारते देर नहीं लगती
गीर की शेरनी हूँ में
ये कला है मुझ में सदियों से
नई दिशा दी इसे ‘SEWA’ ने
मेरी कला आप सब तक पहुंचे
ये सेवा की है ‘SEWA’ ने
ये कला ही है विरासत मेरी
ये कला ही है मेरा व्यापार
इस कला से ही है अभिज्ञान मेरा
इस कला पर है मुझे अभिमान
तक़दीर की लकीरों को खुद खींचनेवाली
वो आज़ाद स्वतंत्र नारी हूँ में
एक नहीं – दस लाख हूँ में
Written & Directed by Varun Lalwani
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