कागज़ पे संगीत रेहता है
कागज़ पे शिक्ष मिलती है
कागज़ पे इतिहास बसता है
कागज़ में मे माँ दिखती है
तब माँ की कमी चूभती है
कागज़ में लक्ष्मी रहती है
जो तिजोरी की कैद में छूपती है
कागज़ पे खबरे आती है
फिर कागज़ नहीं, बस रद्दी रह जाती है
जब कागज़ की कीमत बदलती है
तब देश की किस्मत बदलती है
हौसला रखो यारों
माना की कागज़ अब सच में काला है
पर कागज़ को राख करने वालों
आगे नया उजाला है ।
~ मिलाप मिलन ज़वेरी
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