एक दौर वह भी था,
एक दौर यह भी है ।
एक दौर वह भी था –
जब ज़मीन से आसमान में गुजरता
वह हवाईजहाज बहोत बड़ा और
परियों की कल्पना सा लगता था ।
एक दौर यह भी है –
जब आसमान से ज़मीन पे गुजरता
दो पहिया बाइसिकल मानो
अपना सा लगा करता है ।
एक दौर वह भी था,
एक दौर यह भी है ।
एक दौर वह भी था –
जब दूर देश बैठे लोग
काफी बड़े और बेमिसाल
लगा करते थे ।
एक दौर यह भी है –
अपनी ही मिटटी में बसते
वे चन्द लोग
अपने से लगा करता है ।
बाबा अक्सर कहते है –
वक्त बदल रहा है
जमाना बदल रहा है
शायद वे सही कहते है –
मेरा मुल्क, मेरा जहाँ
नये दौर की दहलीज़ पे है ।
~ जगत निरुपम
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