चंद घंटे… -जगत निरुपम
अब तो स्वदेश का सफ़र चंद दिनों मे नहीं,
चंद घंटो मे ही सिमट जाता है ।
उन चंद घंटो ने भी इस बार तो काफी
कोलाहल मचाया था,
शोर – सियासती कस्मकस का था ।
कभी कभी तो ये भी समज नही आता –
“सियासत इंसानियत से है या इंसानियत सियासत से…”
मेरा हवाई जहाज सियासतगर्दो के गढ़ से
होकर गुजरने वाला था ।
सल्तनत के इस कसबे को जनता
‘नयी दिल्ही’ के नाम से जानती है ।
चंद घंटे वह भी थे – जो की इस शहर के
हवाई अड्डे की वेटिंग लॉन्ज में बिताये थे ।
बिना किसी शोरगुल के – बिलकुल सहमे हुए और खामोश ।
अचानक से पास लगे टेलिविज़न सेट पर किसी दो
‘पार्टी’ के राजनेता आपसी बहस करते दिखाई पड़े ।
बहस थोड़ी गर्म और तेज हो गई –
आख़िरकार वह ‘आम आदमी’ के लिए जो थी !
उस तेज चिल्लाहट को सुन माँ की गोद में
चैन की निंद सो रहा, एक-दो साल का वह मासूम भी
बौखलाकर जोर से रो देता है ।
बगल में बैठे बुजुर्ग चाचा गुस्से में आ कर
रिमोट कंट्रोल से उन लंपट राजनेताओ की
मिथ्या वाणी को बंद करते है ।
उन चंद घंटो को, उस बुज़ुर्ग चाचा को,
उस माँ को, उस मासूम को, सल्तनत के उस कसबे को
सुनहरे कल की उम्मीद के साथ सलाम करता हूँ ।
~ जगत निरुपम
(Dt: 08-Mar-2014 ; Place: Flight to New Delhi & Indira Gandhi International Airport,New Delhi)
सलाम : (‘سلام’ – Arabic word that literally means “the peace”)
सियासत : ( Urdu word that literally means “Politics”)
Mar 10, 2014 @ 03:29:45
ExcellentExcellent
ممتاز
شاندار
ઉત્કૃષ્ટ/ઉત્તમ
उत्कृष्ट
उत्कृष्ठ /अव्वल दर्जाचा
Mar 15, 2014 @ 12:55:07
chand ghante me jaise pura jivan samet liya…..!!
addab…………..!!
wah shu rachna che….!!
very nice lines……
Apr 10, 2014 @ 17:05:22
Nice… Liked it 🙂