माँ सजदे में रहती है…

Mother

बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है।

बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है।

यह ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सजदे में रहती है।

अमीरी रेशम-ओ-कमख़्वाब में नंगी नज़र आई
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है।

मैं इन्साँ हूँ बहक जाना मेरी फ़ितरत में शामिल है
हवा भी उसको छू कर देर तक नश्शे में रहती है।

मुहब्बत में परखने जाँचने से फ़ायदा क्या है
कमी थोड़ी-बहुत हर एक के शजरे में रहती है।

ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है।

 ~ मुन्नवर राणा

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तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फलक
मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी।

लबों के उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती।

मुझे बस इसलिए अच्छी बहार लगती है
कि ये भी माँ की तरह खुशगवार लगती है।

बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ
उठाया गोद में माँ ने तो आसमान छुआ।

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।

यारों को खुशी मेरी दौलत पे है लेकिन
इक माँ है जो बस मेरी खुशी देख के खुश है।

जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है।

~ मुन्नवर राणा

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