कुछ तो बात थी…

बे नजीर उस बन्दिश में कुछ तो बात थी…

बे दाग उस फलक में कुछ तो बात थी…

बद्र की रातके वो नजारे में कुछ तो बात थी…

आसमानी आराइश में कुछ तो बात थी…

बादियो के रूख में कुछ तो बात थी…

नसीम की नर्म नियत में कुछ तो बात थी…

‘अल्लाह’ नाम के उस तराने में कुछ तो बात थी…

इबादत की उस नब्ज़ में कुछ तो बात थी…

तसव्वुर से भी उपर उस तासीर में कुछ तो बात थी…

तसव्वुर से भी उपर उस तासीर में कुछ तो बात थी…

–  जगत निरुपम

(Dt: 10-Mar-2012                 Place:United Arab Emirate)

*** बे नज़ीर= अनुपम, अनूठा, जिसके कोई बराबर का न हो ||बन्दिश= रचना, शैली की सुन्दरता || बे दाग= स्वच्छ||बद्र= पूर्ण चन्द्रमा||आराईश= सजावट, सुन्दरता||बादिया= मस्र्स्थल||नसीम= मन्द समीर, पछुवा हवा, पश्चिमी वायु||तसव्वुर= कल्पना,दिवास्वप्न,विचार||तासीर= प्रभाव, छाप

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